सपनेहुँ साचेहुँ मोहि पर जौं हर गौरि पसाउ। तौ फुर होउ जो कहेउँ सब भाषा भनिति प्रभाउ॥15॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
दोहा 15| Dohas 15
सपनेहुँ साचेहुँ मोहि पर जौं हर गौरि पसाउ।
तौ फुर होउ जो कहेउँ सब भाषा भनिति प्रभाउ॥15॥
भावार्थ:-यदि मु्झ पर श्री शिवजी और पार्वतीजी की स्वप्न में भी सचमुच प्रसन्नता हो, तो मैंने इस भाषा कविता का जो प्रभाव कहा है, वह सब सच हो॥15॥
sapanēhuom sācēhuom mōhi para jauṃ hara gauri pasāu.
tau phura hōu jō kahēuom saba bhāṣā bhaniti prabhāu..15..
If Hara and Gauri (Lord Siva and Parvati) are really propitious to me, even in dream, let all that I have said in glorification of this poetry of mine, written in a popular dialect, come out true.(15)