सुनि प्रभु बचन हरष हनुमाना। सरनागत बच्छल भगवाना॥5
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
पंचमः सोपान | Descent 5th
श्री सुंदरकाण्ड | Shri Sunderkand
चौपाई :
सुनि प्रभु बचन हरष हनुमाना।
सरनागत बच्छल भगवाना॥5॥
भावार्थ:
प्रभु के वचन सुनकर हनुमान्जी हर्षित हुए (और मन ही मन कहने लगे कि) भगवान् कैसे शरणागतवत्सल (शरण में आए हुए पर पिता की भाँति प्रेम करने वाले) हैं॥5॥
English :
IAST :
Meaning :