सोइ रघुबर सोइ लछिमनु सीता। देखि सती अति भईं सभीता॥ हृदय कंप तन सुधि कछु नाहीं। नयन मूदि बैठीं मग माहीं॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
श्री बालकाण्ड | Shri Bal-Kanda
चौपाई 54.3 | Caupāī 54.3
सोइ रघुबर सोइ लछिमनु सीता। देखि सती अति भईं सभीता॥
हृदय कंप तन सुधि कछु नाहीं। नयन मूदि बैठीं मग माहीं॥3॥
भावार्थ:-(सब जगह) वही रघुनाथजी, वही लक्ष्मण और वही सीताजी- सती ऐसा देखकर बहुत ही डर गईं। उनका हृदय काँपने लगा और देह की सारी सुध-बुध जाती रही। वे आँख मूँदकर मार्ग में बैठ गईं॥3॥
sōi raghubara sōi lachimanu sītā. dēkhi satī ati bhaī sabhītā..
hṛdaya kaṃpa tana sudhi kachu nāhīṃ. nayana mūdi baiṭhīṃ maga māhīṃ..
Seeing the same Rama, the same Laksmana and the same Sita, Sati was struck with great awe.Her heart quivered, and She lost all consciousness of Her body. Closing Her eyes she sat down on the wayside.