सोउ जाने कर फल यह लीला। कहहिं महा मुनिबर दमसीला॥ राम राज कर सुख संपदा। बरनि न सकइ फनीस सारदा॥3॥
श्रीगणेशायनमः | Shri Ganeshay Namah
श्रीजानकीवल्लभो विजयते | Shri JanakiVallabho Vijayte
श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
सप्तमः सोपानः | Descent 7th
श्री उत्तरकाण्ड | Shri Uttara Kanda
चौपाई :
सोउ जाने कर फल यह लीला। कहहिं महा मुनिबर दमसीला॥
राम राज कर सुख संपदा। बरनि न सकइ फनीस सारदा॥3॥
भावार्थ:
क्योंकि उस महिमा को भी जानने का फल यह लीला (इस लीला का अनुभव) ही है, इन्द्रियों का दमन करने वाले श्रेष्ठ महामुनि ऐसा कहते हैं। रामराज्य की सुख सम्पत्ति का वर्णन शेषजी और सरस्वतीजी भी नहीं कर सकते॥3॥
IAST :
Meaning :