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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

सोक बिकल दोउ राज समाजा। रहा न ग्यानु न धीरजु लाजा॥ भूप रूप गुन सील सराही। रोवहिं सोक सिंधु अवगाही॥4॥

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श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
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चौपाई

सोक बिकल दोउ राज समाजा। रहा न ग्यानु न धीरजु लाजा॥
भूप रूप गुन सील सराही। रोवहिं सोक सिंधु अवगाही॥4॥

भावार्थ:

दोनों राज समाज शोक से व्याकुल हो गए। किसी को न ज्ञान रहा, न धीरज और न लाज ही रही। राजा दशरथजी के रूप, गुण और शील की सराहना करते हुए सब रो रहे हैं और शोक समुद्र में डुबकी लगा रहे हैं॥4॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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Shiv

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