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इंटरनेट पर श्रीरामजी का सबसे बड़ा विश्वकोश | RamCharitManas Ramayana in Hindi English | रामचरितमानस रामायण हिंदी अनुवाद अर्थ सहित

मानस पद संग्रह

हिमवंत जिमि गिरिजा महेसहि हरिहि श्री सागर दई। तिमि जनक रामहि सिय समरपी बिस्व कल कीरति नई॥ क्यों करै बिनय बिदेहु कियो बिदेहु मूरति सावँरीं। करि होमु बिधिवत गाँठि जोरी होन लागीं भावँरीं॥4॥

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श्रीरामचरितमानस | Shri RamCharitManas
प्रथम सोपान | Descent First
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छन्द : 

 हिमवंत जिमि गिरिजा महेसहि हरिहि श्री सागर दई।
तिमि जनक रामहि सिय समरपी बिस्व कल कीरति नई॥
क्यों करै बिनय बिदेहु कियो बिदेहु मूरति सावँरीं।
करि होमु बिधिवत गाँठि जोरी होन लागीं भावँरीं॥4॥

भावार्थ:

जैसे हिमवान ने शिवजी को पार्वतीजी और सागर ने भगवान विष्णु को लक्ष्मीजी दी थीं, वैसे ही जनकजी ने श्री रामचन्द्रजी को सीताजी समर्पित कीं, जिससे विश्व में सुंदर नवीन कीर्ति छा गई। विदेह (जनकजी) कैसे विनती करें! उस साँवली मूर्ति ने तो उन्हें सचमुच विदेह (देह की सुध-बुध से रहित) ही कर दिया। विधिपूर्वक हवन करके गठजोड़ी की गई और भाँवरें होने लगीं॥4॥

 

    English :

 

 

IAST :

 

 

Meaning :


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Shiv

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